बच्चों ने भोजपुरी, हिंदी के बाद अंग्रेजी में भी नाटक को किया प्रस्तुत

रिपोर्टर — शुभम सिन्हा / आरा 

20 दिवसीय कार्यशाला के छठवें दिन छात्रों को खुद से एक्ट को बनाकर प्रस्तुत करने का टास्क दिया गया। इस दौरान ए, बी, सी, डी और इ ग्रुप बना कर बच्चों को बराबर बराबर बांट दिया गया। उसके बाद सभी ग्रुप के बच्चों ने अपनी प्रस्तुति दिया। इस दौरान अभिराम के द्वारा प्रस्तुत की गई एक्ट पर बच्चों ने जमकर ताली बजाई। अभिराम ने रानी लक्ष्मीबाई का अभिनय बखूबी निभाया। इसके बाद प्रशिक्षण दे रहे रविन्द्र भारती के द्वारा भोजपुरी में किये जा रहे एक्ट को इंग्लिश में करने को कहा। छात्रों ने उस अभिनय को इंग्लिश में किया। वहीं मनोज श्रीवास्तव ने कहा कि अभिनय सीखने के लिए जितने भी नए बच्चे आ रहे है। उनमें बहुत सारा टैलेंट है, वो हिंदी, भोजपुरी, अंग्रेजी के साथ साथ अन्य भाषाओं में भी नाटक को प्रस्तुत कर सकते है।

छात्रा शीतल गुप्ता ने बताया कि मैंने पहले कभी एक्टिंग वर्कशॉप नहीं किया है। लेकिन योगा करती थी। वर्कशॉप में आकर मुझे बहुत अच्छा लग रहा है। मुझे यहां आने के बाद खुद में हुई गलतियों का पता चल पाया है। अगर मुझे अभिनय के लिए चुना जाता है तो मुझे अच्छा लगेगा।

छात्रा रितु पांडेय ने बताया कि लगातार छह दिनों से मैं वर्कशॉप में आ रही हूं। मैंने कभी पहले वर्कशॉप नहीं किया है। उन्होंने बताया कि जब मैं स्टेज पर जाती हूँ तो थोड़ा डर बना रहता है। लेकिन मैं यहां सीखने आई हूं और अच्छा करना चाहती हूं।

14 वर्षीय छात्रा मुस्कान पांडेय ने बताया कि स्टेज पर जाने से पहले डर लगता था, लेकिन अब डर नहीं लगता है। जब शुरू शुरू वर्कशॉप में आई थी, तो यह मेरा पहला वर्कशॉप है। इससे पहले मैंने डांस सीखा है। परंतु नाटक पहली बार कर रही हूं।

ऋत्विक रावत ने अपने अनुभव को शेयर करते हुए कहा कि 2013 से मैं थिएटर कर रहा हूँ। लेकिन लगातार नहीं कर सका हूं। बता दूं कि 45 किलोमीटर की दूरी से अभिनय को सीखने के लिए ऋत्विक आरा आते है। अभिनय को अपना सपना बनाकर प्रतिदिन इतनी धूप में एक्टिंग सीखने आते है और यहां मैंने बहुत कुछ सीखा है। उन्होंने बताया कि हमलोगों ने पहले हिंदी और भोजपुरी में तो प्रस्तुति दी थी। लेकिन इंग्लिश में नाटक करके अच्छा लगा। 

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