महर्षि अध्यात्म विश्‍वविद्यालय के शोधनिबंध को बैंकॉक की परिषद में ‘सर्वोत्कृष्ट प्रस्तुतिकरण’ पुरस्कार !

धार्मिक चिन्हों से प्रक्षेपित होनेवाले स्पंदनों का अध्ययन करें ! – शॉन क्लार्क, महर्षि अध्यात्म विश्‍वविद्यालय

कुछ समय पूर्व ही थायलैंड के बैंकॉक में हुई ‘टेंथ इंटरनैशनल कॉन्फरन्स ऑन सोशल साइन्सिस 2023’की परिषद में महर्षि अध्यात्म विश्‍वविद्यालय’के श्रीशॉन क्लार्क ने कहा कि ‘प्रत्येक चिन्ह से सूक्ष्म सकारात्मक अथवा नकारात्मक स्पंदन प्रक्षेपित होते हैं । बहुतांश धार्मिक नेता अपने धार्मिक चिन्हों से प्रक्षेपित होनेवाले स्पंदनों की ओर ध्यान नहीं देते और इसका प्रतिकूल परिणाम उनके अनुयायियों और भक्तों पर हो सकता है ।

इसलिए धार्मिक चिन्हों से प्रक्षेपित होनेवाले स्पंदनों का अध्ययन करना चाहिए ।’ श्रीशॉन क्लर्क ने ‘दैवीय एवं दानवी – हिन्दू एवं नाजी स्वस्तिक के आध्यात्मिक अंगों का तुलनात्मक अध्ययन’ यह शोधनिबंध प्रस्तुत किया । इस शोधनिबंध के लेखक परात्पर गुरु डॉजयंत आठवले और सहलेखक श्रीक्लार्क हैं ।

इस परिषद में श्रीक्लार्क द्वारा प्रस्तुत किए गए शोधनिबंध को ‘सर्वोत्कृष्ट प्रस्तुतिकरण’ पुरस्कार से गौरवान्वित किया गया । अक्टूबर 2016 से अगस्त 2023 तकमहर्षि अध्यात्म विश्‍वविद्यालय ने 18 राष्ट्रीय और 93 आंतरराष्ट्रीयइसप्रकार कुल मिलाकर 111 वैज्ञानिक परिषदों में शोधनिबंध प्रस्तुत किए हैं । इनमें से 13 आंतरराष्ट्रीय परिषदों में  ‘सर्वोत्कृष्ट प्रस्तुतीकरण’ का पुरस्कार भी मिला है ।

      श्रीशॉन क्लार्क ने चिन्हों में और विशेषरूप से विविध धार्मिक चिन्हों के प्रति वैज्ञानिक उपकरण एवं सूक्ष्म ज्ञान के माध्यम से किए गए विस्तृत शोधकार्य का विस्तार से प्रस्तुतीकरण किया । इसमें उन्होंने प्रमुखरूप से हिन्दू स्वस्तिक को और स्वस्तिक को 45 अंश से घुमाकरकाले रंग में और लाल पृष्ठभूमि पर तैयार किए गए नाजी स्वस्तिक से प्रक्षेपित स्पंदनों और ऊर्जा के संदर्भ में किया अध्ययन प्रस्तुत किया ।

वैज्ञानिक उपकरणों की सहायता से किए शोधन में मूलतहिन्दू स्वस्तिक (चिन्हमें भारी मात्रा में सकारात्मक स्पंदन और ऊर्जा पाई गई और नाजी स्वस्तिक के चिन्ह में भारी मात्रा में नकारात्मक स्पंदन और नकारात्मक ऊर्जा पाई गई । इतना ही नहींअपितु नाजी स्वस्तिक भुजा पर बांधने पर उस व्यक्ति की नकारात्मक ऊर्जा बहुत अधिक बढ गई और उसकी सकारात्मक ऊर्जा पूर्णरूप से नष्ट हो गई । इसके विपरीत हिन्दू स्वस्तिक भुजा पर बांधने के उपरांत नकारात्मक ऊर्जा नष्ट हो गई और सकारात्मक ऊर्जा में वृद्धि हुई ।

ॐ’ हिन्दू धर्म के चिन्हों के संगणकीय फाँट में उपलब्ध दो भिन्नभिन्न आकार एवं ‘महर्षि अध्यात्म विश्‍वविद्यालय’ निर्मित ‘ॐ’इस प्रकार तीन ॐ का दो भिन्नभिन्न वैज्ञानिक उपकरणों से अध्ययन किया गया । उसमें संगणकीय ॐ के एक आकार से नकारात्मक ऊर्जा प्रक्षेपित होती पाई गईतो दूसरे आकार में कुछ मात्रा में सकारात्मक ऊर्जा पाई गईजबकि ‘महर्षि अध्यात्म विश्‍वविद्यालय’द्वारा बनाए गए ‘ॐ’ में भारी मात्रा में सकारात्मक ऊर्जा पाई गई । इससे स्पष्ट होता है कि धार्मिक चिन्हों से प्रक्षेपित होनेवाले स्पंदनों का अध्ययन करना आवश्यक है । 

आशीष सावंत, शोधन विभाग, महर्षि अध्यात्म विश्‍वविद्यालय. (संपर्क : 9561574972)

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