वक्फ बोर्ड के लिए सुप्रीम कोर्ट के इसाई जज का कलेजा पसीजा, याचिकाकर्ता पर ही उठा दिए गम्भीर सवाल

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वक्फ बोर्ड के लिए सुप्रीम कोर्ट के इसाई जज का कलेजा पसीजा, याचिकाकर्ता पर ही उठा दिए गम्भीर सवाल

गौरतलब है कि वक्फबोर्ड द्वारा तमिलनाडु के पांच गांवों पर दांवा ठोकने के बाद मामले की गम्भीरता को देखते हुए सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका लगी थी जिसमें हाईकोर्ट में वक्फबोर्ड एक्ट को लेकर चल रही सुनवाई को सीधा सुप्रीम कोर्ट में स्थानांतरित कर अविलंब सुनवाई की मांग की थी. लेकिन याचिका की सुनवाई कर रहे माननीय जस्टिस जोसेफ साहब ने याचीकर्ता पर ही सवाल उठा दिया !

माननीय ने कहा: आप वक्फबोर्ड को रिलीजन आधार पर चैलेन्ज कर रहे है जिससे मुझे pain (दर्द) हो रहा है. साथ ही माननीय ने याचिका ही कटघरे में खड़ी कर कुछ अजीबोगरीब प्रश्न भी उठा दिए.

1. मिलार्ड ने याचिकाकर्ता से प्रश्न पूछा कि आपका कहना है कि वक्फ ट्रिब्यूनल में सभी मुस्लिम  है तो हिन्दू रिलिजियस अम्बोनेंट में भी सभी हिन्दू है. तो फिर वक्फबोर्ड ट्रिब्यूनल में सिर्फ मुस्लिम होंगे ये क्यों नही लिखा जा सकता है ?

2. आप ये कहना चाहते है ट्रिब्यूनल में बैठा एक ज्यूडिशरी अधिकारी धर्म आधार पर फैसला ले ??

3. वक्फबोर्ड का गठन सम्पत्ति का सरकारी सरंक्षण के लिए हुआ था. आप इसे साम्प्रदायिक चश्मे से क्यों देख रहे है ??

जज साहब के अजीबोगरीब प्रश्नों का जवाब देते हुए याचिकाकर्ता ने कहा, जनाब हिन्दू रिलिजयस अम्बोनेंट को इतने पावर नही दिए गए जितने वक्फबोर्ड ट्रिब्यूनल को प्रदान किये गए है.

यह आर्टिकल 14 का उल्लंघन है. या तो सभी धर्म के बोर्ड को एकसमान शक्ति दीजिए या वक्फबोर्ड में सुधार कीजिए.

लेकिन जज साहब पर दलील का कोई असर नही पड़ा. उन्होंने पुनः बात दोहराई और कहा, यदि वक्फबोर्ड खत्म कर दिया गया तो ‘लाभार्थियों’ का क्या होगा ? कितना पैनिक हो जाएगा. सुप्रीम कोर्ट के रुख को देखते हुए याचीकर्ता ने और समय मांगा ताकि याचिका रद्द ना हो अगली सुनवाई अक्टूबर में होगी.

जनता की ओर से जज साहब और माननीय सुप्रीम कोर्ट से कुछ सवाल.

1. वक्फबोर्ड का गठन शिया सुन्नी हेतु हुआ था तो संसोधन कर गैर मुस्लिम सम्पत्ति पर अधिकार क्या रिलिजयस नही है ?

2. जब देश का मजहब आधारित बंटवारा हो गया तो वक्फबोर्ड की संपत्ति सन 1947 में ही खत्म हो गई. उसे सरकार के पास जाना चाहिए.

3. पीड़ित से सिविल कोर्ट जाने का अधिकार छीनना क्या असंवैधानिक नही है ?

4. सिविल मामलों में वक्फ खुद एक पार्टी हुआ तो उसे फैसले की शक्ति देना असंवैधानिक कैसे नही है ?

5. वक्फबोर्ड को डिस्ट्रिक्ट मजिस्ट्रेट से अधिक शक्ति देना असंवैधानिक कैसे नही है ?

विडंबना है कि जहांगीरपूरी के अतिक्रमण पर बुलडोजर चलने को गम्भीरता से लेकर सुप्रीम कोर्ट मात्र 15 मिनट में फैसला सुना देता है.

सरकारी जमीन को ईदगाह बताने वाले वक्फबोर्ड द्वारा गणेश पूजा रोकने की याचिका को सुप्रीम कोर्ट इतनी गम्भीरता से लेता है कि गणेश उत्सव से ठीक एक दिन पहले तुरंत सुनवाई करता है.

दो सदस्यीय बेंच द्वारा 5 घण्टो की सुनवाई में फैसला नही होने पर उसी दिन 1 घण्टे के भीतर 3 जजो की बेंच बैठाकर छुट्टी(शाम 5 बजे) के बाद सुनवाई कर देर रात गणेश पूजा पर रोक लगवा देता है.

लेकिन उसी सुप्रीम कोर्ट के लिए पांच गांव के हजारों लोगों की वर्षो के परिश्रम और जीवनभर की पूंजी से कमाई संपत्ति छीन जाने वाला विषय कोई गम्भीर मामला नही है.

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