
जब १९४५ के आसपास लगभग ये तय हो चुका था कि भारत अब अग्रेज के शासन मुक्त हो जाएगा और भारत का विभाजन भी लगभग तय ही था। तब भारत के वैसे मुसलमान जो पाकिस्तान जाने का मन बना चुके थे(जिसमें से बहुत सारे नवाब और छोटे-छोटे रियासतों के राजा, जमींदार भी थे)। उन्होने आनन-फानन में अपनी जमीनों पर वक्फ बना दिया और भारत छोड़कर पाकिस्तान चले गए। जिसके बाद देश में मुस्लिम तुष्टिकरण में आकंठ डूबी सरकार आ जाने के बाद वो संपत्ति/जमीन वक्फ बोर्ड के पास चली गई। ऐसी लगभग ६ लाख स्क्वायर किलोमीटर जमीन होने का अंदेशा है।
इसके अलावा कालांतर में रेलवे एवं नगर निगम की खाली जमीन, सार्वजनिक मैदानों, किसी निजी व्यक्ति के खाली प्लाटों आदि पर यहाँ के मूसलमानों ने मिट्टी के कुछेक ढेर जमा कर दिए और ये दावा कर दिया कि, यहाँ हमारी मस्जिद/ ईदगाह/ कब्रिस्तान है, इसीलिए ये वक्फ की संपत्ति है। और चूंकि २०१४ से पहले लगभग हर जगह इनके तुष्टिकरण वाली सरकारें थी तो उन्होंने इनके दावे को आंख बंद कर मान लिया और उन संपत्तियों को वक्फ बोर्ड के रिकॉर्ड में जाने दिया।
१९४७ में बंटवारे के समय पूर्वी एवं पश्चिमी पाकिस्तान (आज का पाकिस्तान एवं बांग्लादेश) को मिलाकर उन्हें लगभग १० लाख ३२ हजार स्क्वायर किलोमीटर जमीन दी गई थी और एक अनुमान के मुताबिक कम से कम इतनी ही जमीन/संपत्ति आज भारत में वक्फ बोर्ड के कब्जे/रिकॉर्ड में है। जी हाँ… देश में इस वक्त वक्फ की ५,००,००० संपत्तियां हैं, जो ६,००,००० एकड़ में फैली हैं। भारतीय रेलवे और रक्षा विभाग के बाद भूमि का तीसरा सबसे बड़ा स्वामित्व वक्फ बोर्ड का है।
वक्फ का शाब्दिक अर्थ है खड़ा होना, रोकना या कब्जे में लेना। वक्फ की जमींदारी अकल्पनीय रूप से बहुत बड़ी है। इसमें लगभग ५ लाख पंजीकृत संपत्ति और लगभग ६ लाख एकड़ भूमि शामिल है। वक्फ एक्ट का गठन १९५४ में हुआ, जिसमें इसे कई शक्तियां दी गई। वक्फ एक्ट १९८४ के समय राजीव गांधी ने इसे विशेषाधिकार दिए, लेकिन १९९५ में इसे प्रशासनिक और न्यायिक अधिकार भी दिए गए। और फिर वर्ष २०१३ में मनमोहन सिंह ने तो इसमें कुछ संशोधन करके वक्फ बोर्ड की ताकत को चरम पर पहुंचा दिया।
चलिए अब समझते है कि, आखिर ऐसा क्या है वक्फ एक्ट २०१३ में जो इसे हिन्दुओं और पूरे भारत भूमि के लिए बहुत ही ज्यादा ख़तरनाक बनाता है – धारा ३६ और धारा ४० इस प्रावधान में यह लिखा है कि, वक्फ बोर्ड किसी कि भी प्रॉपर्टी को चाहे वह प्राइवेट हो, सोसाइटी की हो या फिर किसी भी ट्रस्ट की, उसे अपनी सम्पत्ति घोषित कर सकता है। धारा ४०(१) अगर किसी व्यक्तिगत प्रॉपर्टी को वक्फ प्रॉपर्टी घोषित किया जाता है तो उसको उस ऑर्डर की कॉपी तक देने का कोई प्रावधान नहीं है और अगर आपने उसके खिलाफ ३ साल के अंदर अपील नहीं की तो वो ऑर्डर फाइनल हो जाएगा।
सेक्शन ५२ और सेक्शन ५४ जो सम्पत्ति वक्फ संपति घोषित हो जाएगी, उसके बाद वहा जो रह रहा होगा वो ”ENCROCHERS”(अतिक्रमण करने वाला) माना जाएगा। उसके बाद वक्फ बोर्ड डीएम को जगह खाली कराने का निर्देश देगा, जिसे डीएम मानने के लिए बाध्य होगा। सेक्शन २८ और सेक्शन २९ वक्फ बोर्ड का जो ऑर्डर होगा उसका पालन स्टेट मशीनरी एवं डीएम को करना होगा।
अब एक सवाल उठता है कि, क्या ऐसे आधिकार किसी पंडित, मठाधीश या फिर किसी अन्य हिन्दू ट्रस्ट को दिया गया है…??? धारा ८५ इसके तहत अगर कोई मामला वक्फ से संबंधित है तो आप दीवानी दावा दायर नहीं कर सकते है, मतलब आप वक्फ ट्रिब्यूनल में जाने के लिए बाध्य होंगे। धारा ८९ इसमें अगर आप सिविल कोर्ट जाना चाहते है तो आपको वक्फ बोर्ड को दो महीने का नोटिस देना पड़ेगा। धारा १०१ आप यह जानकर दंग रह जाएंगे की वक्फ बोर्ड के मेंबर लोक सेवक(Public Servant) हैं। क्या किसी भी हिंदू संस्थान में मठाधीश, शंकराचार्य, पंडित को लोक सेवक(Public Servant) माना गया है…?
वक्फ बोर्ड के स्वामित्व और प्रबंधन के लिए कांग्रेस ने इसको वक्फ अधिनियम २०१३ के तहत न सिर्फ कानूनी अमलीजामा पहनाया, बल्कि इसके साथ-साथ इसको जमीन हड़पने के प्रशासनिक अधिकार के अलावा विवाद सुलझाने के न्यायिक अधिकार भी दिए। किसी भी रूप से इसका सदस्य या अंग बनने के लिए आपका मुसलमान होना अनिवार्य है। वक्फ पूर्ण रूप से एक मजहबी संस्था है जो मजहब की आड़ में भू-माफिया में परिवर्तित हो गई है, पर कांग्रेसने न सिर्फ इसे वक्फ अधिनियम १९९५ के तहत कानूनी वैधता प्रदान किया, बल्कि २०१३ में इसे संवैधानिक मान्यता भी दे दि।
आपको जानकर हैरानी होगी कि, ‘वक्फ’ भारतीय संविधान की ७वीं अनुसूची से जुड़ी समवर्ती सूची में प्रविष्टि संख्या १० “ट्रस्ट और ट्रस्टी” के सापेक्ष है जो यह घोषित करता है कि, यह केंद्र और राज्य दोनों सरकारों का मामला है। प्रधानमंत्री की उच्च-स्तरीय समिति ने पुष्टि की है कि देश भर में ४९ से अधिक पंजीकृत वक्फ हैं, जिनमें से दिल्ली में वक्फ संपत्ति के वर्तमान मूल्य का अनुमान ६,००० करोड़ रुपये से अधिक है। उत्तर प्रदेश में वक्फ की संपत्ति सबसे ज्यादा है। पर ये सब कहने की बातें हैं।
असल में वक्फ अधिनियम २०१३ जैसे काले कानून के रूप में न सिर्फ भू-जिहाद को बढ़ावा दिया जा रहा है बल्कि इस संस्था को एकाधिकार प्रदान कर भारत भू-संसाधन पर मुस्लिमों का वर्चस्व स्थापित किया जा रहा है। इसके साथ-साथ इस अधिनियम के बहुत सारे प्रावधान ऐसे भी हैं, जिनका धर्मनिरपेक्ष भारत में कोई स्थान नहीं है। इसलिए भारत के सबसे बड़े भूमाफिया “वक्फ अधिनियम” को भारतीय संविधान से तत्काल निरस्त करने की मांग उठानी होगी…!!!
- हिरेन वी॰ गजेरा